दिल से मदद की पुकार
"मेरी बीवी की दोनों किडनी फेल हो चुकी हैं... हर दिन डायलिसिस के लिए अस्पताल जाना पड़ता है। दर्द, थकान और लाचारी उसका चेहरा पढ़ चुकी है... और मैं सिर्फ़ देख पा रहा हूँ।"
मैं एक कारी हूँ... जिन लोगों को नमाज़ सिखाई, अब उन्हीं से मदद माँग रहा हूँ। रांची के अस्पताल में इलाज चल रहा है, बहन देखभाल कर रही है... लेकिन इलाज का खर्चा मेरी ताक़त से बाहर हो चुका है।
जो मदद पहले मिल रही थी, अब कम हो गई है। तनख़्वाह से कुछ नहीं बचता।
अब आपसे इल्तिजा है — जो बन सके, वो कीजिए। चाहे ₹500 हो या ₹1000
"जो किसी की जान बचाए, वो सारी इंसानियत को बचाता है।"
आपकी एक छोटी सी इमदाद किसी की ज़िंदगी की सांस बन सकती है।
शायद यही आपका सबसे बड़ा सदक़ा हो।
– कारी असलम
₹
₹300000.00